जनवरी की कली को खिलाने दिसंबर अस्त हो रहा है। इक्कीस सदी को बाइसवां साल लग रहा है। जनवरी की कली को खिलाने दिसंबर अस्त हो रहा है। इक्कीस सदी को बाइसवां साल लग ...
अनजान सफर है, अनजान राहें बस तू थामे रहना, मेरी ये बाहें। अनजान सफर है, अनजान राहें बस तू थामे रहना, मेरी ये बाहें।
कुछ नया मिलेगा आखिर में, बस यही मानकर चले चलो। कुछ नया मिलेगा आखिर में, बस यही मानकर चले चलो।
गौतम से राम तक गौतम से राम तक
शहंशाह से गिद्ध तक शहंशाह से गिद्ध तक
जब तक चले ये श्वास, तब तक राह मैं चलती रहूँ, जिस मोड़ पर हों बैंड आंखें, बस उसे मंज़ि जब तक चले ये श्वास, तब तक राह मैं चलती रहूँ, जिस मोड़ पर हों बैंड आंखें, ...